भौतिक विज्ञान क्या है, भौतिक विज्ञान की परिभाषा, महत्व, वैज्ञानिक(What is physics, definition of physics, importance, scientific in hindi)
Physics Kya hai -क्या आपने कभी खुद को आश्चर्य में पाया है कि दुनिया कैसे काम करती है? क्या आप प्रकृति के नियमों और हमारे ब्रह्मांड को संचालित करने वाले सिद्धांतों के बारे में उत्सुक हैं? यदि हां, तो भौतिकी आपके लिए है! इस ब्लॉग पोस्ट में, हम पता लगाएंगे कि भौतिकी(Physics in hindi) क्या है और यह हमें हमारी दुनिया के बारे में क्या बता सकती है।
विज्ञान क्या है? विज्ञान की परिभाषा क्या है(What is science? what is the definition of science hindi)

मानव मस्तिष्क के लिए जिज्ञासा (curiosity) सर्वोपरि वरदान है जिसके कारण मानव जाति अनादि काल से निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होती जा रही है। विश्व में प्रेक्षित (observed) घटनाओं, जैसे — दिन-रात की पुनरावृत्ति (recumence), ऋतुओं का वार्षिक चक्र (annual cycle), समुद्र में ज्वार-भाटे (tides), चंद्रमा की कला (phase) में आवर्ती परिवर्तन (periodic changes), इंद्रधनुष (rainbows) की छवि, ज्वालामुखी (volcanoes). भूकंप (earthquakes) तथा सुनामी (tsunami) का कहर आदि के कारण को जानने की मानव को हमेशा से प्रवृत्ति रही है।
भौतिक विज्ञान की परिभाषा क्या है(What is the definition of physics in hindi)

“भौतिकी सबसे पुराने वैज्ञानिक विषयों में से एक है, और अक्सर इसे सभी विज्ञानों की नींव माना जाता है। इसमें पदार्थ, ऊर्जा और भौतिकी ब्रह्मांड(Physics in hindi) में पदार्थ के सबसे छोटे कणों से लेकर सबसे बड़ी संरचनाओं तक सब कुछ का अध्ययन जाता है।”
भौतिक विज्ञान(Physics Kya hai)में गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुंबकत्व और परमाणु प्रतिक्रिया जैसे बल पदार्थ और ऊर्जा को कैसे प्रभावित करते हैं। भौतिक विज्ञान पदार्थ और ऊर्जा के आसपास के दार्शनिक प्रश्नों को भी देखता है, जैसे कि यह किस चीज से बना है और यह कैसे व्यवहार करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भौतिकी में अंधविश्वास या अटकलें शामिल नहीं हैं; इसके बजाय, यह अवलोकन और प्रयोग पर आधारित है। इन विधियों के माध्यम से, भौतिक विज्ञानी पदार्थ और ऊर्जा के व्यवहार के बारे में भविष्यवाणी करने में सक्षम हैं।
प्रकृति में घटित ऐसी परिघटनाओं (phenomena) के अर्थपूर्ण स्पष्टीकरण (logical explanation) के लिए विज्ञानियों (scientists) ने अनेकानेक साधनों का निर्माण किया। मानव समाज के ऐसे ही निरंतर प्रयासों के कारण आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (modern science and technology) का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) का चंद्रमा की सतह पर पहुँचने से लेकर भारतीय मूल की महिला सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) का कई माह तक अंतरिक्ष (space) में रहकर प्रौद्योगिकी कार्यों में संलग्न रहना सचमुच में विज्ञान(Physics Kya hai) की आर्यजनक प्रगति है। इसी क्रम में हम भारतीय, कल्पना चावला की विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं प्रयासों को कदापि भूल नहीं सकते। मूलतः किसी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (science) कहते हैं ।
विज्ञान की विभिन्न शाखाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है(Different branches of science can be divided into two parts in hindi)
1)भौतिक विज्ञान (physical science)
2)जैव विज्ञान (biological science)।
भौतिक विज्ञान में निर्जीव (nonliving) पदार्थों का अध्ययन किया जाता है जबकि जैव विज्ञान का संबंध सजीव (living) पदार्थों से है।
भौतिक विज्ञान के जनक कौन है(Who is the father of physics in hindi)
दोस्तों आधुनिक भौतिक विज्ञान(Physics Kya hai) के जनक न्यूटन, गैलीलियो और आइंस्टीन को माना जाता है.
आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व विज्ञान का अधिक विस्तार नहीं हुआ था। इसलिए किसी एक वैज्ञानिक के लिए यह आसान था कि वह भौतिक विज्ञान एवं जैव विज्ञान दोनों ही क्षेत्रों में निपुण हो।
यही कारण था कि उस युग में भौतिक विज्ञान(Physics in hindi) के विशिष्ट वैज्ञानिक अच्छे चिकित्सक और जीवविज्ञानी (biologist) भी थे। उस समय भौतिक विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के बीच निश्चित और स्पष्ट विभाजन नहीं था जैसा कि आज के युग में है। विज्ञान की इन सभी शाखाओं के सम्मिश्रण को प्राकृतिक दर्शन ( natural philosophy) कहा जाता था। अरस्तू (Aristotle), आर्किमोडीज (Archimedes), गैलीलियो, न्यूटन आदि प्राकृतिक दार्शनिक (natural philosophers) माने जाते थे।
जैसे-जैसे तीव्रगति से विज्ञान की प्रगति एवं उत्तरोत्तर उसका विस्तार होने लगा, किसी एक वैज्ञानिक (scientist) का कार्य क्षेत्र भी सीमित होने लगा, क्योंकि वह क्षेत्र स्वयं अपने आप में बहुत अधिक विकसित हो गया था।
आज एकही भौतिकविद् के लिए यह असंभव है कि उसे भौतिक विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में हो रही प्रगति के विषय में पूरी जानकारी हो ।
भौतिक विज्ञान मे क्या क्या आता है(Physics Kya hai)
दोस्तों भौतिक विज्ञान के अंतर्गत — भौतिकी (Physics in hindi), रसायन (chemistry), खगोलविज्ञान (astronomy), भूविज्ञान (geology), इंजीनियरी (engineering) आदि आता है । इतना ही नहीं, भौतिकी (physics) के भी अनेक क्षेत्र हो गए हैं। भौतिकी के अध्ययन के लिए उसे सामान्यत: निम्नलिखित भागों में बाँटा जाता है
(a) सामान्य भौतिकी (General physics) – इसमें यांत्रिकी (mechanics) और द्रव्य के गुणों (properties of matter) का अध्ययन किया जाता है।
(b) ऊष्मा (Heat)
(c) ध्वनि (Sound)
(d) प्रकाश (Light)
(e) स्थिर वैद्युत (Electrostatics)
(f) धारा विद्युत ( Current electricity )
(g) चुंबकत्व (Magnetism)
(h) आधुनिक भौतिकी (Modern physics) – इसमें परमाणु और सूक्ष्म कणों के रहस्यों का अध्ययन किया जाता है।
इनके अतिरिक्त भौतिकी(Physics in hindi)की और भी कई शाखाएँ हैं; जैसे- इलेक्ट्रॉनिकी (electronics), कंप्यूटर विज्ञान (computer science), खगोल भौतिकी (astrophysics), रोबोट विज्ञान (robotics) आदि ।
भौतिक विज्ञान का क्या महत्व है(What is the importance of physics in Hindi)
वर्तमान युग एक वैज्ञानिक युग है। अतः, विज्ञान और विशेषकर भौतिकी(Physics in hindi) का अध्ययन हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण विषय है। भौतिकी में हम भौतिक तथ्यों तथा वैज्ञानिकों के अनुभवों का अध्ययन तो करते ही हैं, इसके साथ ही स्वयं के व्यक्तिगत अनुभवों से विज्ञान के प्रति हमारी रुचि भी बढ़ती है।
भौतिकी के अध्ययन से हम रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन (दूरदर्शन), रॉकेट, हवाई जहाज आदि की कार्य प्रणाली का ज्ञान प्राप्त करते हैं। चर्च में झूलते हुए लैंप की दोलनी गति देखकर गैलीलियो ने समय की माप की विधि निकाली। पेड़ से सेब का गिरना तथा चंद्रमा की गति देखकर न्यूटन ने गुरुत्व और गुरुत्वाकर्षण के नियमों को बताया।
भाप के कारण केतली के ढक्कन की गति देखने से जेम्स वाट को भाप इंजन का आविष्कार करने की प्रेरणा मिली। इसी प्रकार दूरस्थ तारों से आनेवाले प्रकाश के स्पेक्ट्रमी विश्लेषण (spectral analysis) से तारों के अनेक गुणों का पता चलता है। मनुष्य का चंद्रमा पर उतरना, अंतरिक्ष की यात्रा करना आदि भी भौतिकी के अध्ययन के ही फल हैं।
ब्रह्मांड में जीवन के अस्तित्व (existence of life in the universe) की संभावना के क्रम में खगोलविज्ञानियों (astronomers) ने एक ऐसे ग्रह (GL 581C) की खोज की है जो पृथ्वी जैसा ही है तथा हमारे सौरमंडल से बाहर, पृथ्वी से लगभग 20.5 प्रकाश-वर्ष दूर है। इस ग्रह का ताप (temperature) 0°C से 40°C के बीच है जो जल एवं जीवन की संभावना के अनुकूल है।
संपूर्ण भौतिक जगत में एक विशाल विविधता पाई जाती है। अगले अध्याय में लंबाई, द्रव्यमान एवं समय के विशाल परास (enormous range) की जानकारी दी जाएगी। उदाहरण के लिए, अपरमाणविक कणों (subatomic particles) के द्रव्यमान 10-31 kg के क्रम के होते हैं जबकि खगोलीय जगत में द्रव्यमान 1030 kg के क्रम के होते हैं।
खगोलीय दूरियाँ 1026 मीटर के क्रम की तथा समय 10 वर्षों के क्रम का होता है। अपरमाणविक कणों से संबद्ध प्रक्रियाओं में दूरी का क्रम 10-15 मीटर तथा समयांतराल 10-20 सेकंड तक सूक्ष्म होता है।
भौतिकी(Physics Kya hai) का इतना विशाल परास और इतनी अद्भुत जटिलताओं के रहने पर यह आश्चर्य की बात है कि सभी तथ्यों की व्याख्या बहुत ही कम नियमों के आधार पर की जा सकती है। ऐसे ही नियमों में एक है ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत। सभी जटिल से जटिल प्रक्रियाओं में कुछ ऐसा है जो संरक्षित रहता है और वह है ऊर्जा। ब्रह्मांड में होनेवाली सभी प्रक्रियाओं में ऊर्जा संरक्षण मान्य होता है।
भौतिक विज्ञान के वैज्ञानिक(Top 10 Physicist Name )
• गैलीलियो
• सर आइज़क न्यूटन
• लॉर्ड केल्विन
• थॉमस यंग
• फैराडे
• अल्बर्ट आइंस्टाइन
• मैक्स क्लॉक मैक्सवेल
• रदरफोर्ड
• नील्स बोर
• मैक्स प्लांट
• हाइजनबर्ग
• जगदीश चंद्र बोस
• सीवी रमन
• डी ब्रोग्ली
• मैडम क्यूरी
• एनरिको फर्मी
भौतिक विज्ञान की प्रकृति(Nature of physics hindi)
संस्कृत भाषा के ‘विज्ञान’ शब्द का अर्थ है ‘जानना’ अर्थात ज्ञान । अँग्रेजी भाषा में इसे साइंस (science) कहते हैं जिसका स्रोत (origin) लैटिन भाषा का शब्द सिंटिया (scientia) है और इस शब्द का भी अर्थ ‘ज्ञान’ ही है । विज्ञान मूलतः प्राकृतिक परिघटनाओं (natural phenomena) को समझने का सुव्यवस्थित प्रयास है ताकि प्रकृति के रहस्यों को विधिवत सुलझाया जा सके। इसी क्रम में अन्वेषण के विभिन्न पहलू सम्मिलित होते हैं, जैसे व्यवस्थित प्रेक्षण (systematic observations), नियंत्रित प्रयोग (controlled experiments), गुणात्मक एवं परिमाणात्मक विवेचना (qualitative and quantitative reasoning), गणितीय प्रतिरूपण (mathematical modelling), भविष्य कथन (prediction ), सिद्धांतों का सत्यापन (verification) अथवा अन्यथाकरण (falsificaton)। ऐसे सभी पहलुओं के सम्मिश्रण को वैज्ञानिक विधि (scientific method) कहा जाता है।
भौतिकी(Physics in hindi) में प्रयोगों से प्राप्त प्रेक्षणों के गुणात्मक एवं परिमाणात्मक अध्ययन करने पर मौलिक सिद्धांतों के ढाँचे (models) बनाए जाते हैं और उन सिद्धांतों में प्रगति के क्रम में संशोधन (modification) भी किया जाता है। यहाँ, हम गुरुत्वाकर्षण-संबंधी प्रेक्षणों के आधार पर सिद्धांतों में किए गए संशोधनों पर विचार करते हैं ।
गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) – निकोलस कोपरनिकस (Nicolaus Copernicus : 14731543) ने सर्वप्रथम सौरमंडल संबंधी सूर्यकेंद्री सिद्धांत (heliocentric theory) की कल्पना की जिसके अनुसार सभी ग्रह (planets) संकेंद्रीय (concentric) वृत्ताकार कक्षाओं (orbits) में घूमते रहते हैं जिनके केंद्र पर सूर्य स्थिर रहता है ।
प्रेक्षण के क्रम में टाइको ब्राह (Tycho Brahe: 1546–1601) ने ग्रहों की गति को देखकर विस्तृत आँकड़े (data) एकत्रित किए तथा इन्हीं आँकड़ों के आधार पर जोहान्नेस केप्लर (Johannes Kepler: 1571–1630) ने सूर्यकेंद्री सिद्धांत में संशोधन किया तथा बताया कि सौरमंडल में ग्रहों की कक्षा वृत्ताकार नहीं होती हैं, बल्कि दीर्घवृत्तीय (elliptical) होती है जिसके एक फोकस (focus) पर सूर्य स्थित रहता है। वस्तुतः, ऐसा संशोधन (अर्थात दीर्घवृत्तीय कक्षा) इसलिए किया गया ताकि ब्राह द्वारा संकलित आँकड़े दीर्घवृत्तीय कक्षा के सिद्धांत के साथ मेल में हों। अंततः, न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के आधार पर विश्लेषणात्मक विधि (analytical method) से ग्रहों की दीर्घवृत्तीय कक्षा को प्रमाणित किया गया जो आज भी मान्य है।
भौतिकी(Physics in hindi) में विविध भौतिक परिघटनाओं की व्याख्या कुछ संकल्पनाओं (postulates) एवं नियमों को आधार मानकर की जाती है। इसी संदर्भ में भौतिकविज्ञानी प्रकृति के मूल बलों के एकीकरण (unification) करने के प्रयास में लगे हैं।